द्वंद्व-जोडी-युग्म. दोन परस्पर विरुद्ध गोष्टी साहचर्यानें राहतात. अशीं अनेक द्वंदें या जगांत आहेत.

उदा.-

जड-चेतन,

पुरुष-प्रकृति,

देव-दैत्य,

प्रपंच-पर्मार्थ,

प्रकाश-अंधकार,

राग-लोम.

सुख-दु : ख

शीत-उष्ण.

धर्म-अधर्म.

पुण्य-पाप.

ज्ञान-अज्ञान,

उत्पत्ति-लय,

लाभ्म-हानि,

जय-पराजय,

निंदा-स्तुति,

मान-अपमान,

शत्रु-मित्र,

सज्जन-दुर्जन,

सत् ‌-असत्,

आशा-निराशा,

शाप-आशीवीद,

प्रवृत्ति-निवृत्ति,

त्याग-भोग.

हिंसा-अहिंसा,

दिवस-रात्र,

प्रेम-द्वेष,

हर्ष-शोक,

नीति-अनीति,

शुभ-अशुभ,

सम-विषम,

सगुण-निर्गुण,

विधि-निषेध,

नित्य-अनित्य,

व्यष्टि-समष्टि,

द्वैत-अद्वैत,

विवेक-वैराग्य,

जन्म-मरण,

बंध-मोक्ष,

आवड-नावड,

उत्कांति-अपकांति,

शिव-अशिब,

मंगल-अमंगल,

शरीर-आत्मा,

जुनें-नवें,

सनातनी-क्रांतिकारी,

मृत्यु-जीवन,

सापेक्ष-निरपेक्ष,

स्त्री-पुरुष इ.