सप्तचतुष्टय
सप्तचतुष्टय म्हणजे आत्म-पूर्णत्व योगाची मूलभूत तत्त्वे आहेत. श्रीअरविंद लिखित 'रेकॉर्ड ऑफ योग' या ग्रंथामध्ये त्यांनी स्वतः जी सप्तचतुष्टयात्मक साधना केली त्याचे सविस्तर वर्णन केले आहे.[१]
रचना
संपादनक्र. | नाव [२] | सूत्र | चार घटक |
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१ | सिद्धि-चतुष्टय | शुद्धिर्मुक्तीर्भुक्ति: सिद्धिरिति योगचतुष्टयम् | शुद्धि,मुक्ती, भुक्ती, सिद्धी |
२ | ब्रह्म-चतुष्टय | सर्वमनन्तं ज्ञानमानन्दं ब्रह्मेति ब्रह्मचतुष्टयम् | सर्व, अनंत, ज्ञान, आनंद |
३ | कर्म-चतुष्टय | कृष्ण: काली काम कर्मेति कर्मचतुष्टयम् | कृष्ण, काली, कर्म, काम |
४ | शांती-चतुष्टय | समता शांति: सुखं हास्यमिति शान्तिचतुष्टयम् | समता, शांति, सुख, हास्य (आत्मप्रसाद) |
५ | शक्ति-चतुष्टय | वीर्यं शक्तिश्चण्डीभाव: श्रद्धेति शक्तिचतुष्टयम् | वीर्य, शक्ती, चण्डीभाव, श्रद्धा |
६ | विज्ञान-चतुष्टय | ज्ञानं त्रिकालदृष्टिरष्टसिद्धि: समाधिरिति विज्ञानचतुष्टयम् | ज्ञान, त्रिकालदृष्टी, अष्टसिद्धी, समाधी |
७ | शरीर-चतुष्टय | आरोग्यमुत्थापना सौन्दर्यं विविधानंद इति शरीरचतुष्टयम् | आरोग्य, उत्थापना, सौंदर्य, विविधानंद |