"केसरबाई केरकर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

Content deleted Content added
छोNo edit summary
ओळ १:
{{विस्तार}}
{{माहितीचौकट गायक
| नाव = '''{{लेखनाव}}'''
| चित्र =
| चित्रशीर्षक =
| उपाख्य =
| टोपणनावे =
| जन्म_दिनांक = [[१३ जुलै]], [[इ.स. १८९२]]
| जन्म_स्थान = [[केरी]], [[गोवा]], [[भारत]]
| मृत्यू_दिनांक = [[१६ सप्टेंबर]], [[इ.स. १९७७]]
| मृत्यू_स्थान =
| मृत्यू_कारण =वृद्धापकाळ
| धर्म = [[हिंदू]]
| वांशिकत्व =
| नागरिकत्व =[[भारत|भारतीय]]
| मूळ_गाव =
| देश = {{ध्वज|भारत}}
| भाषा = [[मराठी]]
| आई =
| वडील =
| जोडीदार =
| अपत्ये =
| नातेवाईक =
| शिक्षण =
| प्रशिक्षण संस्था =
| गुरू = उस्ताद [[अब्दुल करीम खाँ]] <br /> [[रामकृष्णबुवा वझे]] <br /> उस्ताद [[अल्लादिया खाँ]]
| संगीत प्रकार = [[हिंदुस्थानी शास्त्रीय गायन]]
| घराणे = [[जयपूर घराणे]]
| कार्य =
| पेशा = गायकी
| कार्य संस्था =
| विशेष कार्य =
| कार्यकाळ =
| विशेष उपाधी =
| गौरव =
| पुरस्कार = पद्मभूषण पुरस्कार, भारत सरकार, इ.स. १९६९ <br /> राज्य गायिका पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य, इ.स. १९६९ <br /> संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
| संकीर्ण =
| तळटिप =
| स्वाक्षरी =
| संकेतस्थळ =
}}
''सूरश्री'' '''केसरबाई केरकर''' ([[१३ जुलै]], [[इ.स. १८९२]] - [[१६ सप्टेंबर]], [[इ.स. १९७७]]) या [[हिंदुस्तानी संगीत|हिंदुस्तानी संगीतशैलीतील]] प्रख्यात गायिका होत्या. हिंदुस्तानी संगीतातील [[जयपूर-अत्रौली घराणे|जयपूर-अत्रौली घराण्याच्या]] शैलीत त्या गायन करत. इ.स.च्या २०व्या शतकातील प्रभावी हिंदुस्तानी संगीत गायिकांमध्ये त्यांची गणना केली जाते.
 
== जीवन ==
[[गोवा|गोव्याच्या]] उत्तर भागातील [[फोंडा|फोंडा तालुक्यातील]] [[केरी]] नामक खेड्यात गोमंतक मराठा समाजात केसरबाईंचा जन्म झाला. वयाच्या आठव्या वर्षी त्यांनी [[कोल्हापूर|कोल्हापुरास]] प्रयाण करून आठ महिने उस्ताद [[अब्दुल करीम खाँ]] यांच्याकडे संगीताचे धडे घेतले. गोव्याला परत आल्यावर त्यांनी प्रसिद्ध गायक [[रामकृष्णबुवा वझे]] ([[इ.स. १८७१]] -[[इ.स. १९४५]]) यांच्याकडे आपले संगीत शिक्षण चालू ठेवले. वयाच्या १६ व्या वर्षी त्यांनी [[मुंबई]]त स्थलांतर केले व तिथे अनेक संगीतगुरूंकडून त्या प्रशिक्षण घेत राहिल्या. सरतेशेवटी इ.स. १९२१ मध्ये त्यांनी जयपूर-अत्रौली घराण्याचे संस्थापक उस्ताद [[अल्लादिया खाँ]] (इ.स. १८५५ - १९४६) यांचे शिष्यत्व पत्करले.
 
== सांगीतिक कारकीर्द ==
केसरबाईंच्या गायनाची कीर्ती लवकरच चहूं दिशांना पसरली. त्या राजे - सरदार मंडळींसाठीही नियमितपणे मैफिली करत असत. त्यांनी आपल्या गाण्याची काही ध्वनिमुद्रणेही केली. [[नोबेल पुरस्कार|नोबेल पुरस्कारविजेते]] कवी [[रवींद्रनाथ टागोर]] हे केसरबाईंच्या गायनाचे विलक्षण चाहते होते असे सांगितले जाते. कोलकाता येथील संगीत प्रवीण संगीतानुरागी सज्जन सन्मान समितीने [[इ. स. १९४८]] साली केसरबाईंना '''सूरश्री'' अशी पदवी बहाल केली.
 
== पुरस्कार ==
Line १५ ⟶ ५६:
 
{{हिंदुस्तानी संगीत}}
{{संगीतातील अपूर्ण लेख}}
 
{{DEFAULTSORT:केरकर,केसरबाई}}
Line २१ ⟶ ६३:
[[वर्ग:मराठी गायक]]
[[वर्ग:हिंदुस्तानी गायक]]
[[वर्ग:भारतीय शास्त्रीय गायक]]
[[वर्ग:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारविजेते]]
 
 
[[en:Kesarbai Kerkar]]