"विनायक पांडुरंग करमरकर" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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छो नवीन पान: {{माहितीचौकट शिल्पकार | पार्श्वभूमी_रंग = | नाव = | चित्र = | चित्र_रुंद...
 
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ओळ ६:
| चित्र_शीर्षक =
| पूर्ण_नाव =
| जन्म_दिनांक = [[ऑक्टोबर २]], [[इ.स. १८९१|१८९१]]
| जन्म_स्थान =
| मृत्यू_दिनांक = [[जून १३]], [[इ.स. १९६७|१९६७]]
| मृत्यू_स्थान =
| राष्ट्रीयत्व = [[भारत|भारतीय]]
| कार्यक्षेत्र = [[शिल्पकला]]
| प्रशिक्षण = [[सर जे.जे. कला विद्यालय]]
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| आश्रयदाते =
| पुरस्कार = पद्मश्री पुरस्कार (इ.स. १९६२)
| वडील_नाव =
| आई_नाव =
ओळ २५:
| तळटिपा =
}}
'''विनायक पांडुरंग करमरकर''', ऊर्फ '''नानासाहेब करमरकर''', ([[ऑक्टोबर २]], [[इ.स. १८९१]]; सासवणे, [[रायगड जिल्हा]], [[महाराष्ट्र]] - [[जून १३]], [[इ.स. १९६७]]) हे [[मराठी]] शिल्पकार होते. [[मुंबई]]च्या [[सर जे.जे. कला विद्यालय|सर जे.जे. कला विद्यालयात]] त्यांनी प्रशिक्षण घेतले. शिल्पकलेतील योगदानाबद्दल भारतीय केंद्रशासनाने इ.स. १९६२ साली त्यांना [[पद्मश्री पुरस्कार]] देऊन गौरवले.
'''{{लेखनाव}}''' ([[ऑक्टोबर २]], [[इ.स. १८९१|१८९१]] - [[जून १३]], [[इ.स. १९६७|१९६७]]) हे [[मराठी]] शिल्पकार होते.
 
 
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[[वर्ग:पद्मश्री पुरस्कारविजेते]]
[[वर्ग:मराठी शिल्पकार]]