"विशाखा (कवितासंग्रह)" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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लेखात भर घातली, पुस्तकाचे मुखपृष्ठ तसेच काव्यसंग्रहातील कवितांची नावे जोडली.
ओळ २७:
 
'''विशाखा''' हा वि. वा. शिरवाडकर यांचा [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] विजेता कवितासंग्रह आहे. [[इ.स. १९४१|१९४१]] साली हा कवितासंग्रह प्रसिद्ध झाला. मराठी लेखक [[वि.स. खांडेकर]] यांनी या कवितासंग्रहाला प्रस्तावना लिहलेली आहे.
 
==कवितासूची==
विशाखा या काव्यसंग्रहात एकूण ५७ कविता आहेत. त्यांची अनुक्रमे सूची पुढीलप्रमाणे-
 
१. दूर मनोर्‍यात<br />२. हिमलाट<br />३. स्वप्नाची समाप्ती<br />४. ग्रीष्माची चाहूल<br />५. अहि-नकूल<br />६. किनार्‍यावर<br />७. अवशेष<br />८. मातीची दर्पोक्ती<br />९. गोदाकाठचा संधिकाल<br />
१०. स्मृति<br />११. हा काठोकाठ कटाह भरा!<br />१२. आगगाडी व जमीन<br />१३. क्रांतीचा जयजयकार<br />१४. जालियनवाला बाग<br />१५. जा जरा पूर्वेकडे<br />१६. तरीही केधवा<br />१७. मूर्तिभंजक<br />१८. [[कोलंबसाचे गर्वगीत]]<br />१९. आस<br />२०. बळी<br />२१. लिलाव<br />२२. पृथ्वीचे प्रेमगीत<br />२३. गुलाम<br />२४. सहानुभूती<br />२५. सात<br />२६. माळाचे मनोगत<br />२७. ऋण<br />२८. उमर खय्याम<br />२९. विजयान्माद<br />३०. शेवटचे पान<br />३१. उषःकाल<br />३२. तू उंच गडी राहसि-<br />३३. प्रीतिविण<br />३४. नदीकिनारी<br />३५. पाचोळा<br />३६. बंदी<br />३७. आव्हान<br />३८. बायरन<br />३९. प्रतीक्षा<br />४०. आश्वासन<br />४१. प्रकाश-प्रभु<br />४२. मेघास<br />४३. भाव-कणिका<br />४४. ध्यास<br />४५. निर्माल्य<br />४६. जीवन-लहरी<br />४७. पावनखिंडीत<br />४८. सैगल<br />४९. कुतूहल<br />५०. अससि कुठे तू-<br />५१. भक्तिभाव<br />५२. नेता<br />५३. बालकवी<br />५४. वनराणी<br />५५. देवाच्या दारी<br />५६. टिळकांच्या पुतळ्याजवळ<br />५७. समिधाच सख्या या-
 
[[वर्ग:वि.वा. शिरवाडकर यांचे साहित्य]]