"नैतिक पाठराखण" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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ओळ १:
{{विस्तार}}
[[नैतिकता|नैतिक मुल्यांचेमूल्यांचे शिक्षणाची]] तत्संबधी शिस्त आणि नियमनाची जबाबदारी पालक सांभाळत असतात.हे करतानासुद्धा पाल्यास [[अभिव्यक्त होणे|अभिव्यक्त होण्या]]साठी प्रोत्साहीत करणे आणि स्वत:करिता चांगले काय आणि वाईट काय हे ठरवण्याची निर्णयक्षमता निर्माणकरण्या करिता पालक पाल्यांची पाठराखण करत असतात.
 
मुक्त लोकशाही समाजांमध्ये आपली बुद्धी वापरून बरेवाईट ठरवण्याचे आणि [[स्वातंत्र्य|निवड स्वातंत्र्य]] वापरण्याचे आणि [[अभिव्यक्ती स्वातंत्र्य|अभिव्यक्ती स्वतांत्र्याची]] कक्षा [[अभिव्यक्त होणे|अविष्कार स्वातंत्र्य]] अधिकाधिक जोपासेल हे पहाणे अभिप्रेत असते.पण समाजातील काही घटक इतर व्यक्ती किंवा इतर समाज घटकांवर त्यांचे स्वांत्र्य नाकारत स्वत:चे नियंत्रण प्रस्थापित करतात तेव्हा त्यास [[नैतीक सुभेदारी]] असे म्हटले जाते. [[नैतीक सुभेदारी]]ची अमलबजावणीकरण्याकरिता बर्‍याचदा [[उपद्रव मुल्य|उपद्रव मुल्याचा]] आणि [[सार्वजनिक उपद्रव|सार्वजनिक उपद्रवाचा]] उपयोग केला जातो.
ओळ ७:
==संस्कृती रक्षक==
 
==व्यक्तिव्यक्तिस्वातंत्र्यावर स्वातंत्र्यावरयेणार्‍यायेणार्‍या निर्बंधाचे स्वरूप==
{{अनुवाद|hi}}
{{भाषांतर}}
ठेकेदार हर धर्म, जात और सम्प्रदाय में मिल जाते हैं। पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान एक रेडियो स्टेशन चलाता है। उसके माध्यम से वह संदेश प्रसारित करता है कि लडकियों को स्कूल नहीं भेजना है। उन्हें ऎसे कपडे पहनने हैं जिसमें उनका पोर-पोर ढका हो। अब स्वात घाटी की क्या बात करें पिछले दिनों तक तो धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले अपने कश्मीर में ही लडकियों के जींस पहनने पर पाबंदी थी। वहां से थोडा नीचे उतरें तो पांच नदियों के प्रदेश में एक फरमान जारी किया गया कि लडकियां सलवार कमीज के अलावा कुछ नहीं पहनेंगी। लडकी का जींस टोप पहनना नैतिकतावादियों की आंख में खटकता है। अब जरा देश के दक्षिण में चलें। अपने संगठन के आगे ईश्वर का नाम जोडकर नैतिक बनने वालों ने एक शहर में लडकियों को जम कर पीटा। उनके बाल पकड- पकड कर घसीटा। मजे की बात यह कि यह तमाशा नैतिकता के नाम पर किया गया। कसम भोलेनाथ की। हमें तो अब नैतिकतावादियों से डर लगने लगा है। लगता है कि किसी भी वाद की ऎसी-तैसी उसे मानने वाले "वादियों" ने उस वाद के आलोचकों से ज्यादा की है। चाहे गांधीवाद हो या साम्यवाद। पूंजीवाद का बेडा गर्क उस महान देश में ही हो रहा है जो अपने आपको स्वतंत्रता का सबसे बडा अलम्बरदार मानता रहा है।<ref> [http://www.patrika.com/article.aspx?id=8345 पत्रिका]</ref>
 
== हेही पाहा ==
==हे सुद्धा पहा==
* [[अभिव्यक्त होणे]]
* [[अभिव्यक्ती स्वातंत्र्य]]
* [[व्हॅलेन्टाईन्स डे]]
* [[वसंत पंचमी]]
* [[पाश्चिमात्यीकरण]]
 
==संदर्भ==
{{संदर्भयादी}}
<references/>
==नोंदी==
==स्रोत==
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== बाह्य दुवे ==
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#<ref>* [http://www.patrika.com/article.aspx?id=8345 पत्रिका]</ref>
 
{{DEFAULTSORT:पाठराखण,नैतिक}}
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[[वर्ग:नैतिकतेविषयक समस्या]]
 
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==संदर्भ==
<references/>