"यमुना नदी" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ ५५:
== किरूनाऱ्यावरील प्रेक्षणीय स्थळे ==
ब्रज प्रदेशाच्या सांस्कृतिक हद्दीतील यमुना नदीचे पहिले प्रवेशद्वार बुलंदशहर जिल्ह्यातील खुर्जा तहसीलच्या 'जेबर' नावाच्या शहराजवळ आहे. तेथून ती दक्षिणेकडे वाहून फरिदाबाद (हरियाणा) जिल्ह्यातील पलवल तहसील आणि उत्तर प्रदेशच्या हाथरस जिल्ह्यातील खैर तहसील अलिगडची सीमा बनवते. त्यानंतर ती छत्र तहसीलच्या शाहपूर गावाजवळ मथुरा जिल्ह्यात प्रवेश करते आणि मथुरा जिल्ह्यातील छत्री आणि भट्ट तहसीलची सीमा निश्चित करते. जबेर ते शेरगड पर्यंत दक्षिणेकडे व नंतर पूर्वेकडे वळते. शेरगड हे ब्रज प्रदेशातील यमुनेच्या काठावर वसलेले पहिले उल्लेखनीय ठिकाण आहे.
ब्रज प्रदेश की सांस्कृतिक सीमा में यमुना नदी का प्रथम प्रवेश बुलंदशहर जिला की खुर्जा तहसील के 'जेबर' नामक कस्बा के निकट होता है। वहाँ से यह दक्षिण की ओर बहती हुई फरीदाबाद (हरियाणा) जिले की पलवल तहसील और अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की खैर तहसील की सीमा निर्मित करती है। इसके बाद यह छाता तहसील के शाहपुर ग्राम के निकट यह मथुरा जिले में प्रवेश करती है और मथुरा जिले की छाता और भाँट तहसीलों की सीमा निर्धारित करती है। जेबर से शेरगढ़ तक यह दक्षिणाभिमुख प्रवाहित होती है उसके बाद कुछ पूर्व की ओर मुड़ जाती है। ब्रज क्षेत्र में यमुना के तट पर बसा हुआ पहिला उल्लेखनीय स्थान शेरगढ़ है।
शेरगढ़ से कुछ दूर तक पूर्व की दिशा में बह कर फिर यह मथुरा तक दक्षिण दिशा में ही बहती है। मार्ग में इसके दोनों ओर पुराण प्रसिद्ध वन और उपवन तथा कृष्ण लीला स्थान विधमान हैं। यहाँ पर यह भाँट से वृन्दावन तक बलखाती हुई बहती है और वृन्दावन को यह तीन ओर से घेर लेती है। पुराणों से ज्ञात होता है, प्राचीन काल में वृन्दावन में यमुना की कई धाराएँ थीं, जिनके कारण वह लगभग प्रायद्वीप सा बन गया था। उसमें अनेक सुन्दर वनखंड और घास के मैदान थे, जहाँ भगवान श्री कृष्ण अपने साथी गोप बालकों के साथ गायें चराया करते थे।{{भारतातील नद्या}}
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