"सोरठी सोमनाथ" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ १२:
इस वचन के साथ के चंद्रदेव अपनी सभी पत्नियों पर बिना कोई भेद किए एक समान प्रेम करेंगे. परंतु ऐसा करने मे चंद्रदेव असफल रहे, जिस कारण प्रजापति दक्ष ने उन्हे श्राप दिया के, "धिरे धिरे उनकी चमक कम होकर, वो एक मृत ग्रह बनकर उनका अंत हो जाएगा."
परंतु दक्ष ने अपने पुत्रियों के सुहाग और भविष्य के विषय मे बिलकुल नही सोचा.
इसलिए दक्ष की बेटी बनकर जन्मी हुयी, भगवान शिव की पत्नि #सती (
चंद्रदेव मृतावस्था से बाहर आए और उनकी चमक भी वापस आयी.
शिव जी ने चंद्रदेव को मृत्यु से बचाने के लिए अपने माथे पे बिठा दिया और कहा के, "चंद्रदेव, मेरे मस्तक पे विराजमान होने के कारण आपका अंत तो नही होगा, किंतु दक्ष के श्राप का प्रभाव आप पर सदैव के लिए बना रहेगा. जिस कारण आप की चमक हर १५ दिनो मे कम होगी और फिर बढेगी. और आपके इस दशा का परिणाम समुद्रदेव पर होगा और हर १५ दिन मे समुद्र मे उतार-चढाव (waxing and waning) होता रहेगा."
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