"उज्जैन" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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ओळ ९:
महाभारत व पुराणात असा उल्लेख आहे की क्रूष्ण व बलराम उज्जैन येथे सांदिपनी आश्रमात विद्यार्जनासाठी आले होते.
 
राजनीतिक इतिहास उज्जैन चा इतिहास खूप मोठा आहे. कृष्ण की एक पत्नी मित्रवृन्दा उज्जैन की ही राजकुमारी थी। क्रूष्ण ची पत्नी मित्र वरून्दाा उज्जैन ची राजकुमारी थीउसके दो भाई विन्द एवं अनुविन्द महाभारत युद्ध में कौरवों की और से युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे। ईसा की छठी सदी में उज्जैन में एक अत्यंत प्रतापी राजा हुए जिनका नाम चंड प्रद्योत था। भारत के अन्य शासक उससे भय खाते थे। उसकी दुहिता वासवदत्ता एवं वत्सनरेश उदयन की प्रणय गाथा इतिहास प्रसिद्ध है प्रद्योत वंश के उपरांत उज्जैन मगध साम्राज्य का अंग बन गया।
 
महाकवि कालिदास उज्जयिनी के इतिहास प्रसिद्ध सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। इनको उज्जयिनी अत्यंत प्रिय थी। इसीलिये कालिदास ने उज्जयिनी का अत्यंत ही सुंदर वर्णन किया है। सम्राट विक्रमादित्य ही महाकवि कालिदास के वास्तविक आश्रयदाता के रूप में प्रख्यात है।
 
महाकवि कालिदास की मालवा के प्रति गहरी आस्था थी। उज्जयिनी में ही उन्होंने अत्यधिक प्रवास-काल व्यतीत किया और यहीं पर कालिदास ने उज्जयिनी के प्राचीन एवं गौरवशाली वैभव को देखा। वैभवशाली अट्टालिकाओं, उदयन, वासवदत्ता की प्रणय गाथा, भगवान महाकाल संध्याकालीन आरती तथा नृत्य करती गौरीगनाओं के सात ही क्षिप्रा नदी का पौराणिक महत्व आदि से भली भांति परिचित होने का अवसर भी प्राप्त किया हुआ जान पड़ता है।
 
'मेघदूत' में महाकवि कालिदास ने उज्जयिनी का सुंदर वर्णन करते हुए कहा है कि जब स्वर्गीय जीवों को अपने पुण्यक्षीण होने की स्थिति में पृथ्वी पर आना पड़ा। तब उन्होंने विचार किया कि हम अपने साथ स्वर्ग का एक खंड (टुकत्रडा) भी ले चले। वही स्वर्गखंड उज्जयिनी है। आगे महाकवि ने लिखा है कि उज्जयिनी भारत का वह प्रदेश है जहां के वृध्दजनइतिहास प्रसिद्ध आधिपति राजा उदयन की प्रणय गाथा कहने में पूर्ण दक्ष है।
 
कालिदास के 'मेघदूत' में उज्जयिनी का वैभव आज भले ही विलुप्त हो गया हो परंतु आज भी विश्व में उज्जयिनी का धार्मिक-पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के सात ही ज्योतिक्ष क्षेत्र का महत्व भी प्रसिद्ध है। उज्जयिनी भारत की सात पुराण प्रसिद्ध नगरियों में प्रमुख स्थान रखती है। उज्जयिनी में प्रति बारह वर्षों में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है। इस अवसर पर देश-विदेश से करोड़ों श्रध्दालु भक्तजन, साधु-संत, महात्मा महामंडलेश्वर एवं अखात्रडा प्रमुख उज्जयिनी में कल्पवास कर मोक्ष प्राप्ति की मंगल कामना करते हैं।
 
 
"https://mr.wikipedia.org/wiki/उज्जैन" पासून हुडकले