"पंचांग" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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ओळ ११७:
(१.४.२८६) स्युर्नभस्यप्रौष्ठपदभाद्रभाद्रपदाः समाः<br/>
(१.४.२८७) स्यादाश्विन इषोऽप्याश्वयुजोऽपि स्यात्तु कार्तिके/कार्त्तिके <br/>
(१.४.२८८) बाहुलोर्जौ कार्तिकिको.........<br/>
 
 
पौर्णिमान्त पंचांगांत सर्वच महिने हे अमावास्यान्त पंचांगांतल्यापेक्षा १५ दिवस आधी सुरू होतात.
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