"कालिदास" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

Content deleted Content added
(चर्चा | योगदान)
(चर्चा | योगदान)
ओळ १०५:
पेड जो अलगे हुए है, सहज जुड जाते;
 
दुरदूर की राहें अचानक सरल हो जाती;
 
वक्र जो अबतक रहीं,
ओळ ११३:
<nowiki>लगता~~~</nowiki>
 
दुरदूर है कुछ भी नहीं
 
पास भी कुछ है नहीं....
"https://mr.wikipedia.org/wiki/कालिदास" पासून हुडकले