"कालिदास" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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छो →काव्ये |
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ओळ १०५:
पेड जो अलगे हुए है, सहज जुड जाते;
वक्र जो अबतक रहीं,
ओळ ११३:
<nowiki>लगता~~~</nowiki>
पास भी कुछ है नहीं....
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ओळ १०५:
पेड जो अलगे हुए है, सहज जुड जाते;
वक्र जो अबतक रहीं,
ओळ ११३:
<nowiki>लगता~~~</nowiki>
पास भी कुछ है नहीं....
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