"सम्राट हर्षवर्धन" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

Content deleted Content added
No edit summary
खूणपताका: मोबाईल संपादन मोबाईल वेब संपादन
No edit summary
खूणपताका: मोबाईल संपादन मोबाईल वेब संपादन
ओळ ४५:
*हर्षकालीन प्रमुख अधिकारी - अधिकारी विभाग
*महाबलाधिकृत सर्वोच्च सेनापति/सेनाध्यक्ष - बलाधिकृत सेनापति
*महासन्धिमहासंधी विग्रहाधिकृत संधिरुसंधीरु/युद्ध करण्यासंबंधीकरण्यासंबंधीचा अधिकारी - कटुक हस्तिहस्ती सेनाध्यक्ष, वृहदेश्वर अश्व सेनाध्यक्ष
*अध्यक्ष वेगवेगळ्या विभागांचे सर्वोच्च अधिकारी - आयुक्तक
*साधारण अधिकारी - मीमांसक न्यायधीश
*महाप्रतिहार राजाप्रासादचे रक्षक - चाट-भाट वैतनिक/अवैतनिक सैनिक
उपरिक महाराज प्रांतीय शासक - अक्षपटलिक लेखा
*जोखा लिपिक — पूर्णिक साधारण लिपिक
पूर्णिक साधारण लिपिक
हर्ष स्वयं प्रशासनिक व्यवस्था में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेता था। सम्राट की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् गठिन की गई थी। बाणभट्ट के अनुसार अवन्ति युद्ध और शान्ति का सर्वोच्च मंत्री था। सिंहनाद हर्ष का महासेनापति था। बाणभट्ट ने हर्षचरित में इन पदों की व्याख्या इस प्रकार की है-
 
हर्षवर्धन स्वत: प्रशासकीय व्यवस्थेत व्यक्तिगत रूपात रूची ठेवित असे. सम्राटाच्या मदतीसाठी एक मंत्रीपरीषद स्थापण्यात आली होती. बाणभट्टानुसार अवंती युद्ध आणि शांतीचा सर्वोच्च मंत्री होता. सिंहनाद हर्षवर्धनाचा महासेनापती होता. बाणभट्टाने हर्षचरित्रात या पदांची व्याख्या या प्रकारे केली आहे -
*अवन्ति - युद्ध और शान्ति का मंत्री।
 
*सिंहनाद - हर्ष की सेना का महासेनापति।
*अवंती - युद्ध आणि शांतीचा मंत्री.
*कुन्तल - अश्वसेना का मुख्य अधिकारी।
*सिंहनाद - हर्षवर्धनाच्या सेनेचा महासेनापती.
*स्कन्दगुप्त - हस्तिसेना का मुख्य अधिकारी।
*कुंतल - अश्वसेनाचा मुख्य अधिकारी.
*स्कंदगुप्त - हत्तीसेनेचा मुख्य अधिकारी.
*राज्य के कुछ अन्य प्रमुख अधिकारी भी थे- जैसे *महासामन्त, महाराज, दौस्साधनिक, प्रभातार, राजस्थानीय, *कुमारामात्य, उपरिक, विषयपति आदि।
*कुमारामात्य- उच्च प्रशासनिक सेवा में नियुक्त।