"सोरठी सोमनाथ" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ ६:
[[वर्ग:ज्योतिर्लिंगे]]
[[वर्ग:हिंदू मंदिरे]]
१) #सोमनाथ
(सोमनाथ मंदिर, प्रभास पतन, गुजरात)
#सोमनाथ_ज्योतिर्लिंग भगवान शिव द्वारा स्थापित किया गया सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है...
भगवान ब्रम्हा के पुत्र प्रजापति #दक्ष की २७ पुत्रियों (२७नक्षत्र) का विवाह #चंद्रदेव (चंद्रग्रह) से कराया गया.
इस वचन के साथ के चंद्रदेव अपनी सभी पत्नियों पर बिना कोई भेद किए एक समान प्रेम करेंगे. परंतु ऐसा करने मे चंद्रदेव असफल रहे, जिस कारण प्रजापति दक्ष ने उन्हे श्राप दिया के, "धिरे धिरे उनकी चमक कम होकर, वो एक मृत ग्रह बनकर उनका अंत हो जाएगा."
परंतु दक्ष ने अपने पुत्रियों के सुहाग और भविष्य के विषय मे बिलकुल नही सोचा.
इसलिए दक्ष की बेटी बनकर जन्मी हुयी, भगवान शिव की पत्नि #सती (माँ पार्वती) ने भगवान शिव को चंद्रदेव के प्राण बचाने को कहा. #भगवान_शिव ने सती जी को अपना यथारुप #शिवलिंग देकर समुद्र के किनारे मृतावस्था मे पड़े चंद्रदेव के पास स्थापित करने को कहा, और चंद्रदेव के संपुर्ण परिवार और सप्तर्षीयों के साथ #महामृत्युंजय_मंत्र का जाप करने को कहा.
चंद्रदेव मृतावस्था से बाहर आए और उनकी चमक भी वापस आयी.
शिव जी ने चंद्रदेव को मृत्यु से बचाने के लिए अपने माथे पे बिठा दिया और कहा के, "चंद्रदेव, मेरे मस्तक पे विराजमान होने के कारण आपका अंत तो नही होगा, किंतु दक्ष के श्राप का प्रभाव आप पर सदैव के लिए बना रहेगा. जिस कारण आप की चमक हर १५ दिनो मे कम होगी और फिर बढेगी. और आपके इस दशा का परिणाम समुद्रदेव पर होगा और हर १५ दिन मे समुद्र मे उतार-चढाव (waxing and waning) होता रहेगा."
इस प्रकार भगवान शिव #सोम (चंद्र) के #नाथ (स्वामी) बन गए और #सोमनाथ #ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई...
बोलो #हर_हर_महादेव
#ॐ_सोमनाथाय_नमः
#ॐ_नमः_शिवाय
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