"श्रावण" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ ११४:
* बालम आये बसो मेरे मन में, सावन आया तुम ना आये (पारंपरिक, तिमिर बरन, कुंदनलाल सैगल, देवदास, काफी)
* मेरे नैना सावन भादों (आनंद बक्षी, राहुलदेव बर्मन, किशोर. लता, मेहबूबा)
* मौसम है आशिकाना... काली घटा के साए, बिरहन को डस रहे है, डर है ना मार डाले, सावन का क्या ठिकाना, सावन का क्या ठिकाना (कमाल अमरोही, गुलाम मोहम्मद, लता, पाकिज़ा)
* मोहोब्बत बरसा देना तू, सावन आया है (गीत-अरिजीतसिंग)
* रिमझिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाये मन
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