"श्रावण" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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ओळ ११३:
* अरे हाय हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी, अरे हाय हाय हाय मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी, मुझे पल पल है तड़पाये, तेरी दो टकियाँ दी नौकरी वे मेरा लाखों का सावन जाये (वर्मा मलिक, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, लता मंगेशकर, रोटी, कपडा ऑर मकान, ??)
* हर दिल जो प्यार करेगा, वो गाना गायेगा...... अब कह दूँगी, करते करते, कितने सावन बीत गये, जाने कब इन आँखों का शरमाना जायेगा, दीवाना सैंकड़ों में पहचाना जायेगा (शैलेंद्र-आर.एस. शंकरसिंग, शंकर-जयकिशन, हर दिल जो प्यार करेगा, मुकेश-लता-महेंद्र कपूर, ??)
* हरियाला सावन ढोल बजाता आया, धिन तक तक मन के मोर नचाता आया (शैलेंद्र, सलील चौधरी. [[लता मंगेशकर]]-मन्ना डे]] आणि कोरस, दो बीघा जमीन)
 
==चित्रदालन==
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