"माधुरी बळवंत पुरंदरे" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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ओळ १०२:
* पंढरीची वाट
* माझी भवरी गाय
* रात पिया के संग जागी रे सखी
* सासों में दर्द, दर्द में साँसें बसी हुई हम में कोई, किसी में समायें हुएं हैं हम (चित्रपट आक्रोश)
* हमामा रे पोरा हमामा