"आद्य शंकराचार्य" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक
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ओळ ३३:
शंकराचार्य हे हिंदू धर्मातील सर्वोच्च आचार्य मानले जातात. आद्य शंकराचार्यांनी द्वारका, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर आणि बद्रीकेदार येथे चार पीठे निर्मून, त्यांवर प्रत्येकी एक पीठासीन शंकराचार्य नेमून आचार्य परंपरा घालून दिली.
या आदि शंकराचार्यांनी अनेक तत्त्वज्ञानविषयक ओव्या, संस्कृत स्तोत्रे, आणि तत्सम काव्ये रचली आहेत
* अष्टोत्तरसहस्रनामावलिः▼
* शतश्लोकी▼
* गोविंदाष्टकम्
* लघुवाक्यवृत्ती▼
* चर्पटपंजरिकास्तोत्रम्
* विवेकचूडामणि▼
* तत्त्वविवेकाख्यम्▼
* दत्तात्रेयस्तोत्रम्
* द्वादशपंजरिकास्तोत्रम्
* पंचदशी
** कूटस्थदीप.▼
** तत्त्वविवेक▼
** पञ्चमहाभूतविवेक▼
** पञ्चकोशविवेक▼
** द्वैतविवेक▼
** महावाक्यविवेक▼
** चित्रदीप
▲** तत्त्वविवेक
** तृप्तिदीप
▲** द्वैतविवेक
▲** कूटस्थदीप.
** ध्यानदीप
** नाटक दीप
▲** पञ्चकोशविवेक
** ब्रह्मानन्दे योगानन्द▼
▲** पञ्चमहाभूतविवेक
** ब्रह्मानन्दे आत्मानन्द▼
** पञ्चकोशविवेक
** ब्रह्मानन्दे अद्वैतानन्द
▲** ब्रह्मानन्दे आत्मानन्द
▲** ब्रह्मानन्दे योगानन्द
▲** महावाक्यविवेक
** विद्यानन्द
** विषयानन्द
* परापूजास्तोत्रम्
▲* अष्टोत्तरसहस्रनामावलिः
* भवान्यष्टकम्
▲* तत्त्वविवेकाख्यम्
▲* लघुवाक्यवृत्ती
▲* विवेकचूडामणि
▲* शतश्लोकी
* शिवस्यापराधक्षमापनस्तोत्रम्
* शिवानन्दलहरी
* साधनपंचकम
पहा :[[शंकराचार्य]]
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