"रामभद्राचार्य" च्या विविध आवृत्यांमधील फरक

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'''जगद्गुरु रामभद्राचार्य''' (१९५०–), पूर्वाश्रमीचे नाव '''गिरिधर मिश्र''' , [[चित्रकूट]] ([[उत्तर प्रदेश]], [[भारत]]) येथे राहणारे एक प्रख्यात विद्वान्विद्वान, शिक्षणतज्ज्ञ, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, तत्वज्ञ व हिन्दू धर्मगुरु आहेत.<ref name="speakerloksabha">{{संकेतस्थळ स्रोत | आडनाव=लोक सभा | पहिलेनाव=अध्यक्ष कार्यालय | शीर्षक = Speeches | भाषा=अंग्रेज़ीइंग्रजी | दुवा = http://speakerloksabha.nic.in/Speech/SpeechDetails.asp?SpeechId=195 | अ‍ॅक्सेसदिनांक = मार्च ८, २०११ | अवतरण=Swami Rambhadracharya, ..., is a celebrated Sanskrit scholar and educationist of great merit and achievement. ... His academic accomplishments are many and several prestigious Universities have conferred their honorary degrees on him. A polyglot, he has composed poems in many Indian languages. He has also authored about 75 books on diverse themes having a bearing on our culture, heritage, traditions and philosophy which have received appreciation. A builder of several institutions, he started the Vikalanga Vishwavidyalaya at Chitrakoot, of which he is the lifelong Chancellor. (स्वामी रामभद्राचार्य, ...., बहुमुखी प्रतिभा और उपलब्धियों के धनी एक प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान् और शिक्षाविद् हैं। ... आपकी अनेक शैक्षणिक उपलब्धियाँ हैं और कईं माननीय विश्वविद्यालयों ने आपको मानद उपाधियाँ प्रदान की हैं। आप एक बहुभाषाविद् हैं और आपने अनेक भारतीय भाषाओं में काव्य रचे हैं। आपने विविध विषयवस्तु वाली ७५ पुस्तकें रची हैं, जिन्होंने हमारी संस्कृति, धरोहर और परम्पराओं पर छाप छोड़ी है और जिन्हें सम्मान प्राप्त हुआ है। आपने कईं संस्थानों के साथ चित्रकूट में विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना की है, जिसके आप आजीवन कुलाधिपति हैं।)}} </ref> [[चित्र : Jagadguru Rambhadracharya.jpg | thumb | imagesize= 150 px | जगद्गुरु रामभद्राचार्य प्रवचन देत असतांना ]] ते रामानन्दरामानंद सम्प्रदायाच्यासंप्रदायाच्या वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यांमधीलरामानंदाचार्यांमधील एक आहेत, व या पदावर १९८८इ.स. १९८८ पासुनपासून विराजमान आहेत.<ref name="kbs-bio">{{cite journal | first=आर | last=चन्द्रा | title=जीवन यात्रा | volume=८ | issue=११ | journal=क्रान्ति भारत समाचार | location=लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत | date=सितम्बर २००८ | pages=२२-२३}}</ref><ref name="agarwal-bio">अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।</ref><ref name="dinkarjagadguru">दिनकर २००८, पृष्ठ ३२।</ref> ते चित्रकूट येथील संत तुलसीदास यांच्या नावे स्थापन स्थापितझालेल्या तुलसी पीठ या धार्मिक व सामाजिक सेवा संस्थेचे संस्थापक व अध्यक्ष आहेत.<ref>नागर २००२, पृष्ठ ९१।</ref> तसेच ते चित्रकूट येथील जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय याचे विश्वविद्यालयाचे संस्थापक व आजीवन कुलाधिपती आहेत.<ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | शीर्षक = The Chancellor | language=अंग्रेज़ी | दुवा = http://www.jrhu.com/index_files/Page350.htm | accessdate = जुलाई २१, २०१० | publisher=जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय}}</ref><ref>{{cite book | language=अंग्रेज़ी | शीर्षक = Analysis and Design of Algorithm | last=द्विवेदी | first=ज्ञानेन्द्र कुमार | publisher=लक्ष्मी प्रकाशन | date=दिसम्बर १, २००८ | location=नई दिल्ली, भारत | id=ISBN 978-81-318-0116-1 | pages=पृष्ठ x}}</ref> हे विश्वविद्यालय विकलांग विद्यार्थ्यांना पदवीपदवीपर्य़ंतचे तसेच पदव्युत्तर शिक्षण व डिग्री प्रदान करते. जगद्गुरु रामभद्राचार्य वयाने दोन महिन्याचे असतांना दृष्टिदृष्टी गमावून बसले व तेव्हापासूनच ते प्रज्ञाचक्षु आहेत.<ref name="kbs-bio"/><ref name="agarwal-bio"/><ref name="kkbvp">{{संकेतस्थळ स्रोत | publisher=के के बिड़ला प्रतिष्ठान | शीर्षक = वाचस्पति पुरस्कार २००७ | दुवा = http://www.kkbirlafoundation.com/downloads/pdf/vach-2007.pdf | accessdate = मार्च ८, २०११}}</ref><ref name="outlook">{{संकेतस्थळ स्रोत | first=सुतपा | last=मुखर्जी | शीर्षक=A Blind Sage's Vision: A Varsity For The Disabled At Chitrakoot | publisher=आउटलुक | place=नयी दिल्ली, भारत | date=मई १०, १९९९ | volume= | issue= | pages= | दुवा=http://www.outlookindia.com/article.aspx?207437 | language=अंग्रेज़ी | accessdate=जून २१, २०११}}</ref> अध्ययन वा रचना करण्यासाठी त्यांनी कधीही [[:en:Braille|ब्रेल लिपिलिपी]] चा वापर केला नाही. ते [[:en:Polyglot|बहुभाषाविद्]] आहेत व २२ भाषा बोलू शकतात.<ref name="kkbvp"/><ref>दिनकर २००८, पृष्ठ ३९।</ref><ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | शीर्षक = श्री जगद्गुरु रामभद्राचार्य | publisher=औपचारिक वेबसाइट | दुवा = http://jagadgururambhadracharya.org | accessdate = May 10, 2011 | language=अंग्रेज़ी | quote=आश्चर्यजनक तथ्य: अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी और अनेक भारतीय भाषाओं सहित २२ भाषाओं का ज्ञान}}</ref> ते [[संस्कृत]], [[हिन्दी]], [[अवधी]], [[मैथिली]] सहित अनेक भाषांचेभाषांमध्य शीघ्रकविकाव्य करणारे शीघ्रकवी व रचनाकार आहेत. त्यांनी ८० हून८०हून अधिक पुस्तकांची व ग्रंथांची रचना केली आहे, ज्यात.त्यांत चार महाकाव्ये (दोन संस्कृतसंस्कृतमध्ये व दोन हिन्दी मध्येहिंदीत), रामचरितमानसवर हिन्दीतहिंदीत टीका, [[अष्टाध्यायी]]वर काव्यात्मक संस्कृत टीका, व [[प्रस्थानत्रयी]]वर ([[ब्रह्मसूत्र]], [[भगवद्गीता]] व प्रमुख [[उपनिषद्|उपनिषदे]]) यांवरकेलेल्या संस्कृत भाष्यांचा समावेश आहे.<ref name="dinkarbiblio">दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३।</ref> त्यांना तुलसीदासांवरील भारतातील सर्वश्रेष्ठ तज्ञांपैकीतज्‍ज्ञांपैकी एक मानले जाते,<ref name="outlook"/><ref>प्रसाद १९९९, पृष्ठ xiv: "Acharya Giridhar Mishra is responsible for many of my interpretations of the epic. The meticulousness of his profound scholarship and his extraordinary dedication to all aspects of Rama's story have led to his recognition as one of the greatest authorities on Tulasidasa in India today ... that the Acharya's knowledge of the Ramacharitamanasa is vast and breathtaking and that he is one of those rare scholars who know the text of the epic virtually by heart." (मेरे द्वारा इस ग्रंथ के किए गए अनेकानेक अर्थों के पीछे आचार्य गिरिधर मिश्र की प्रेरणा है। उनके गहनतम पाण्डित्य का अवधान और रामायण के सभी पक्षों के प्रति उनकि विलक्षण लगन के कारण आज वे भारत में तुलसीदास पर सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में अग्रगण्य हैं। ... आचार्य का रामचरितमानस का ज्ञान व्यापक और आश्चर्यजनक हैं, और वे उन विरल विद्वानों में से हैं जिन्हें यह ग्रन्थ पूर्णतः कण्ठस्थ है।)</ref><ref>{{cite book | language=अंग्रेज़ी | शीर्षक = The Ramayana: Global View | first=लल्लन प्रसाद, ed. | last=व्यास | publisher=हर आनन्द प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड | year=१९९६ | location=दिल्ली, भारत | id=ISBN 978-81-241-0244-2 | quote=... Acharya Giridhar Mishra, a blind Tulasi scholar of uncanny critical insight, ... (आचार्य गिरिधर मिश्र, एक मीमांसक अंतर्दृष्टि से संपन्न प्रज्ञाचक्षु तुलसी विद्वान, ...) | pages=पृष्ठ ६२}}</ref> व ते रामचरितमानस च्यारामचरितमानसच्या एका [[:en:Textual criticism|प्रामाणिक प्रतिटीकाग्रंथाचे]] चे सम्पादक आहेत. ज्याचे प्रकाशन तुलसी पीठाद्वारापीठाने या ग्रंथाचे प्रकाशन केले गेले आहे.<ref>रामभद्राचार्य (ed) २००६।</ref> स्वामी रामभद्राचार्य रामायण व भागवत यांचे प्रसिद्ध कथाकार आहेत. भारतातील अनेक शहरे तसेच विदेशांतहि नियमितपणे त्यांच्या कथाकथनाचे कार्यक्रम आयोजित होत असतात व ते[[संस्कार टीवीटी.व्ही.]], सनातन टीवी इत्यादिटी.व्ही. चानेलइत्यादी दूरचित्रवाणी वरूनवाहिन्यांवरून प्रसारित होत असतात.<ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | last=एन बी टी न्यूज़ | first=गाज़ियाबाद | publisher=नवभारत टाईम्स | शीर्षक = मन से भक्ति करो मिलेंगे राम : रामभद्राचार्य | दुवा = http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7329118.cms | date = जनवरी २१, २०११| accessdate=जून २४, २०११}}</ref><ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | last=संवाददाता | first=ऊना | publisher=दैनिक ट्रिब्यून | शीर्षक = केवल गुरु भवसागर के पार पहुंचा सकता है : बाबा बाल जी महाराज | दुवा = http://dainiktribuneonline.com/2011/02/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%B2-%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81-%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%B9/ | date = फ़रवरी १३, २०११| accessdate=जून २४, २०११}}</ref><ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | last=संवाददाता | first=सीतामढ़ी | publisher=जागरण याहू | शीर्षक = ज्ञान चक्षु से रामकथा का बखान करने पहुंचे रामभद्राचार्य | दुवा = http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_7679575.html | date = मई ५, २०११| accessdate=जून २४, २०११}}</ref><ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | last=संवाददाता | first=ऋषिकेश | publisher=जागरण याहू | शीर्षक = दु:ख और विपत्ति में धैर्य न खोएं | दुवा = http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7835924_1.html | date = जून ७, २०११| accessdate=जून २४, २०११ | quote=प्रख्यात राम कथावाचक स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा की ...}}</ref><ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | publisher=Anjoria | शीर्षक = सिंगापुर में भोजपुरी के अलख जगावत कार्यक्रम | दुवा = http://anjoria.com/?p=4041 | date = जून २६, २०११ | accessdate=जून ३०, २०११ | quote=श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर में सुप्रसिद्ध मानस मर्मज्ञ जगतगुरु रामभद्राचार्य जी राकेश के मानपत्र देके सम्मानित कइले। | language=भोजपुरी}}</ref><ref>{{संकेतस्थळ स्रोत | शीर्षक = रामभद्राचार्य जी | दुवा = http://www.sanatantv.com/rambhadracharya.php | publisher=सनातन टीवी | accessdate = May 10, 2011 | language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
== सन्दर्भ ==
ओळ १०:
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* [http://www.jagadgururambhadracharya.org जगद्गुरु रामभद्राचार्य यांची औपचारिक वेबसाइट]
* [http://jagadgururambhadracharya.org/ViewContent/pdfs/Jagadguru%20Rambhadracharya%20-%20Ramacaritamanasa%20Bhavarthabodhini.pdf रामचरितमानस वररामचरितमानसवर जगद्गुरु रामभद्राचार्य यांची भावार्थबोधिनी टीका]
* [https://sites.google.com/site/jagadgururambhadracharya/ गूगल पृष्ठ वरगूगलवर जगद्गुरु रामभद्राचार्य यांची अनौपचारिक वेबसाइट]
* [http://www.jrhu.com/ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय]
* [http://www.youtube.com/user/namoraghavay जगद्गुरु रामभद्राचार्य व त्यांच्या प्रवचनांचे यूट्यूब चैनलवाहिनीवरील चित्रण]